एक महाशय ने नौकरी के लिए आवेदन-पत्र भेजा। उसने मैनेजर से कहा कि उसे प्रतिवर्ष दो हजार वेतन मिलना चाहिए।
लेकिन मैनेजर ने कुछ दूसरी तरह सोचा-
“एक वर्ष में 365 दिन होते हैं। आप प्रतिदिन आठ घंटे सोते हैं, कुल हुए 122 दिन। शेष बचते हैं – 243 दिन।
आप प्रतिदिन 8 घंटे आराम करते हैं- कुल 122 दिन हुए। शेष बचते हैं- 121 दिन।
वर्ष में 52 रविवार आप काम नहीं करते। शेष बचते हैं- 69 दिन।
हर शनिवार को आपको आधे दिन की छुट्टी मिलती है- कुल हुए 26 दिन। शेष बचे 43 दिन।
ऑफ़िस-समय के बीच में एक घंटे की छुट्टी मिलती है – 15 दिन हुए। शेष बचते हैं 28 दिन।
इसके अतिरिक्त 14 दिन की आपको छुट्टी मिलती है। शेष बचे केवल 14 दिन।
और फिर दिवाली-पूजा आदि की वर्ष-भर में 10 अतिरिक्त छुट्टियाँ होती हैं। शेष बचे 4 दिन।
तो महाशय, क्या इन चार दिन का वेतन आप दो हजार माँगते हैं?”
(गुणाकर मुळे की किताब 'गणित की पहेलियाँ' से यहाँ एक लेख दे रहा हूँ। इससे मैं पहले से ही परिचित था।)
good very good
जवाब देंहटाएंsundar aur sarthak lekhan
badhai.....
बहुत खूब ||
जवाब देंहटाएंबेचारा एक किसान --
३६५ के बदले पाता है --
एक सल्फास की गोली |
इधर रात में दिवाली
दिन में होली ||
गुणाकर मुळे की इस गणना का सरकार को यदि पता लग चुका है तो वह कर्मचारियों को मुळे गणित की एक अतिरिक्त परीक्षा पास करने के लिए कह सकती है :))
जवाब देंहटाएंआप जोड़-घटा में गुणा(कर) जी का नाम लेकर बेवकूफ बना रहे हैं.
जवाब देंहटाएंआप सोने के आठ घंटे और आराम के घंटे में रविवार और शनिवार के घंटे भी जोड़े दे रहे हैं जबकि बाद में उनकी गणना दोबारा कर रहे हैं. छुट्टियों की गणना भी दोबारा-तिबारा कर रहे हैं. ... कुलमिलाकर
गणित से बचने भागने वाले आँख बंदकरके मूले जी की पहेलियों में बेवकूफ बनते रहे हैं.
कोलिज समय में मेरी भी एक बार उनसे वराहमिहिर के 'पंचतत्व' विषयक विचारधारा पर विमर्श हुआ था.. लेकिन मैं संतुष्ट न हो सका था.
आंकडों का दैत्य और सांख्यिकी का जादू, क्या नहीं कर सकता.
जवाब देंहटाएंवैसे इन दिनों प्रतिदिन के दो हजार पाने वाले आपको यहां-वहां भटकते मिल सकते हैं.
जवाब देंहटाएंआदरणीय प्रतुल जी,
जवाब देंहटाएंवास्तव में तो यह एक पहेली ही है जिसमें दोबारा बहुत सारी बदमाशियाँ की
गई हैं और चक्कर दिया गया है जिन्हें आपने पकड़ लिया। मुळे जी का परिश्रम
और उनकी देन गणित और विज्ञान साहित्य या अनुवाद को लेकर हिन्दी को बहुत
है। मैंने तो यह लेख ही हास्य के लिए डाला था।
बहुत खूब ............चन्दन जी
जवाब देंहटाएंइतने अधिक लाभ के बाद भी बच्चे नौकरी से दूर भागते हैं
जवाब देंहटाएंप्रतुल जी अगर नहीं पकड़ते तो मैं फंस ही गया था .