1) चार बाट होंगे 1, 3, 9 और 27 किलोग्राम के जिनकी सहायता से हम एक से चालीस किलोग्राम तक तौल सकते हैं। यह सवाल मैंने अपने शिक्षक से सुना था और जवाब भी यानि मुझे इसके जवाब के लिए मेहनत नहीं करनी पड़ी थी।
2) सवाल के लिए चित्रों की जरूरत है। नीचे जवाब है। इसके लिए दो जवाब और आज तीसरा जवाब भी मिल गया। चित्र में पहला जवाब तो बिना मेहनत के सोचा जा सकता है लेकिन दूसरा जवाब मैंने अपने कई घंटे (शायदएक-दो दिन) लगाकर पाए थे। हुआ ये था कि एक पुरानी पत्रिका में ये सवाल दिख गया और जवाब वाला अंक था ही नहीं। अब तो जवाब के पीछे मैंने वृत्त से लेकर सभी ज्यामितीय आकृतियों पर खूब मेहनत की और आखिर में चित्र में दाएँ वाला जवाब मिला। अगर ध्यान से सोचा जाय तो यही सही है क्योंकि बगीचे की जमीन पहले चित्र की तरह हो इसकी संभावना नगण्य है लेकिन दूसरे चित्र की तरह जमीन हर जगह देखने को मिल सकती है। थोड़ी कम ही सही लेकिन मिल सकती है।
आज एक नया उत्तर प्रतुल जी ने सुझाया है। उनका जवाब है-
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0........0........0.......0
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लेकिन इसमें पँक्तियाँ थोड़ी इधर-उधर भी लग रही हैं। पँक्तियों को क्यारी कह सकते हैं। और सवाल के अनुसार पँक्तियाँ सिर्फ़ छह ही चाहिए लेकिन यहाँ पहली और चौथी पँक्ति में दो ही पेड़ हैं। प्रतुल जी के जवाब के आधार पर जमीन या बाग का चित्र है-
यानि सभी बिंदुओं को मिलाकर देखने पर यहाँ पर आठ पँक्तियाँ हैं। इसलिए इस जवाब से मैं सहमत नहीं हूँ। लेकिन प्रयास अच्छा रहा।
3) इसमें द्विवेदी जी ने व्यापारिक कुशलता दिखाई है। सिर्फ़ अन्तिम छह दिनों में आप मुझे इतने रुपये देंगे।
536870912 + 268435456 + 134217728 + 67108864 + 33554432 + 16777216 = लगभग 106 करोड़ । और मैं आपको एक महीने में मात्र तीस करोड़ रुपये ही देनेवाला था। इस सौदे को मंजूर करना आपके लिए बहुत ही नुकसानदेह था।
एक अफ़सोस है
कोई जेनो नाम का गणितज्ञ था। कहाँ का था, यह भी याद नहीं। जिस किताब में पढ़ी थी वह मिल नहीं पाई। खोजा लेकिन बेकार क्योंकि मिली ही नहीं। उसमें एक जबरदस्त प्रश्न है जो जेनो ने उठाई थी। जेनो ने साबित किया कि संसार में कुछ भी गतिशील नहीं हो सकता। बात तो बेवकूफ़ी वाली लग रही होगी। लेकिन किताब मिले तो थोड़ा विस्तार से बताऊंगा। अभी थोड़ा सा याद है वह बता रहा हूँ।
कोई बिन्दु है ‘क’ और दूसरा बिन्दु है ‘ख’। जैसे क पटना के लिए और ख दिल्ली के लिए मान लेते हैं। जेनो का कहना है कि क से ख तक जाने के पहले उनके बीच के ग बिन्दु पर जाना होगा। फिर क से ग तक जाने के लिए घ बिन्दु जो क और ग के बीच में है, वहाँ पहुँचना होगा। फिर यही क्रम आगे जारी रहेगा। चूँकि दो बिन्दुओं के बीच अनंत बिन्दु हो सकते हैं, इसलिए हमेशा हम एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु पर जाने के पहले उनके बीच के बिन्दु से गुजरते रहेंगे। और यह अनंत बिन्दुओं का खेल है, इसलिए हम कभी भी क से ख यानि पटना से दिल्ली पहुँच ही नहीं पाएंगे। आश्चर्य तो यह है कि हम सभी समझते हैं कि यह गलत है लेकिन सैद्धान्तिक रुप से जेनो ने जो बात कही वह सैद्धान्तिक रुप से गलत साबित नहीं हो पाती है। इस पर ज्यादा कहता लेकिन वह किताब मिले तब तो। उम्मीद है एक-दो दिन में खोज निकालूंगा और यह बात विस्तार से बताऊंगा।
इस सवाल पर या कहिए पहेली पर अधिकांश लोग खुद को गणितज्ञ मानते हुए हँसना शुरु कर देते हैं या बेवकूफ़ी करार देते हैं। लेकिन ध्यान से सोचने पर मजाक नहीं है। यहाँ यह ध्यान रह कि अनंत जैसे ही घुसा कि सारा गणित गोल। आप अनंत को कितनी भी तेज गति से विभाजित नहीं कर सकते। इसलिए तेज गति या कम दूरी वाली बात यहाँ नहीं की जा सकती।
जेनो ई.पू. 5 वीं सदी के प्रसिद्ध यूनानी दार्शनिक हैं, गति के चार असत्याभास के रूप में इनकी स्थापनाएं हैं- एक का जिक्र आपने किया है अन्य तीन तीर और धावक आदि के उदाहरण से समझाई जाती है.
जवाब देंहटाएंयदि बगिया के दो पेड़ वाली सीध [आयत के ऊपर और नीचे] को चार पेड़ वाली पंक्ति में न शामिल किया जाये तो पंक्तियाँ छह ही गिनती में आयेंगी.
जवाब देंहटाएंआपने तीनों सवालों से दिमाग की अच्छी कसरत करवा दी. अभी तक सुन्न है.उत्तर मिले राहत मिली.
जवाब देंहटाएंप्रतुल जी,
जवाब देंहटाएंआपको मेल कर दिया है। देख लें।