शुक्रवार, 24 जून 2011

कैमरा (कविता)


कैमरा
फोटो खींचकर
बचा लेता है आदमी को
कम-से-कम
एलबम में भी।

3 टिप्‍पणियां:

  1. युद्ध हो या बाजार
    फूटते-दगते बम में भी |
    मौत की मौजूदगी और
    निकलते दम में भी ||
    गलते ग्लेशियर और
    जलते मौसम में भी ||
    हृदय-पटल पर छपती फोटो
    ख़ुशी में और गम में भी ||

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  2. क्षणिका
    अच्छी लगी
    और सच्ची भी ... !

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