"कैसा प्रदर्शन, क्या सिर्फ पुलिस की गालियाँ और मार खाने के लिए…हरगिज नहीं! इस तरह का कोई भी कदम मैं उस समय तक नहीं उठाऊंगा, जब तक मेरे पास एक अदद बंदूक न हो" - चे ग्वेरा
युद्ध हो या बाजार फूटते-दगते बम में भी | मौत की मौजूदगी और निकलते दम में भी || गलते ग्लेशियर और जलते मौसम में भी || हृदय-पटल पर छपती फोटो ख़ुशी में और गम में भी ||
युद्ध हो या बाजार
जवाब देंहटाएंफूटते-दगते बम में भी |
मौत की मौजूदगी और
निकलते दम में भी ||
गलते ग्लेशियर और
जलते मौसम में भी ||
हृदय-पटल पर छपती फोटो
ख़ुशी में और गम में भी ||
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जवाब देंहटाएं.
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अच्छा लगा आपका ब्लॉग...
...
क्षणिका
जवाब देंहटाएंअच्छी लगी
और सच्ची भी ... !