एक पेड़ है। बहुत मोटा। संयोग या दुर्योग जो कहें कि वह नुकसानदेह है, फायदेमंद नहीं क्योंकि उसके फल जहरीले हैं। जब छोटा था तब सारा खाद-पानी इसी ने ले लिया और मोटा होता गया। और अब बहुत मोटा हो गया है। इस जहरीले फल को खत्म करने के लिए क्या किया जाना चाहिए? आप अलग-अलग समाधान सोच सकते हैं। लेकिन इसके समाधान के कुछ और तरीके हैं। जैसे उसके चारों ओर एक रस्सी बाँध दी गई है ताकि वह पेड़ बँधा रहे। लेकिन सब जानते हैं कि इस पेड़ को बाँधने का सम्बन्ध इसके फल को या इस पेड़ को खत्म करने से बिलकुल नहीं होगा।
लोकपाल के नहीं रहने पर |
अब एक महाबुद्धिमान समूह अपनी महाबुद्धिमानी से इसे लोहे की जंजीर या और मोटी रस्सी से बाँधना चाहता है और शायद यह समझता है कि इससे पेड़ के फल जहरीले नहीं होंगे या जो (100-65=35 प्रतिशत) फल जहरीले होंगे, वे बाहर नहीं आ सकेंगे और उससे लोगों को नुकसान नहीं होगा। अब यह समझना तो आसान है कि पेड़ की जड़ पर वार किया जाय और उसे काटने का इन्तजाम किया जाय लेकिन उसको आप 420 की रस्सी से बाँधें या अध्याय 13-14 या भारतीय दंड संहिता के किसी धारा या कानून से बाँधे या जन लोकपाल के तथाकथित कड़े कानून से, यह सब तमाशे हैं। बात साफ हो गयी होगी कि क्या और किसके लिए कहा जा रहा है।
लोकपाल के बनने पर |
मत-मतांतर से रास्ता निकलने की आशा अवश्य है.
जवाब देंहटाएंबात साफ हो गई कि क्या और किसके लिए कहा जा रहा है...
जवाब देंहटाएंसही समय पर सही पोस्ट गहन चिंतन की मांग करती हुई , आभार
जवाब देंहटाएंभ्रष्टाचार और लोकपाल पर आपके द्वारा किया गया नवीन चिंतन शायद भावी प्रधानमंत्री को बचाने के लिये किये गये जुगाड़ हों !
जवाब देंहटाएंनहीं जी। जड़ से खत्म करने की बात है। भावी को बिना हुए ही भूत बनाना अच्छा लगेगा अगर ? गाँधी की बात हो।
जवाब देंहटाएंपसंद आया आपका प्रतिउत्तर .......... मैं भी उस भोंदू युवराज को भूत बनाने की चाह रखता हूँ.
जवाब देंहटाएंप्रयास निरंतर जारी रहे .आप के लेखन और संघर्ष करने वाले ,दोनों का ही.
जवाब देंहटाएंहमें पढ़ने को मिलेगा .
जन लोकपाल के ऊपर सभी को चिंता हो रही है तो कहीं कुछ लोग इसकी जानकारी से कोसों दूर हैं ! पर मेरे ख़याल से यह एक मजाक ही है ....
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