रविवार, 11 सितंबर 2011

स्कूल की घंटी (कविता)



घंटियां
बजती हैं
किसी के मरने पर
उसकी अर्थी के साथ
लेकिन स्कूल में
आखिर किसलिए बजती हैं घंटियां
किसके मरने पर
किसकी अर्थी पर
शिक्षा की
या
पढ़ाई के बोझ से दबे
शिक्षकों को देखते ही
सहमे-से मासूम बच्चों की
या
उनके दिलों में
जगने वाली उमंगों की । 

(शिक्षक दिवस पर नहीं लिख सका था। यह कविता आज से 5-6 साल पहले की है।)

10 टिप्‍पणियां:

  1. देर ही सही पर समकालीन लगती है ! सुन्दर ! कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारे !

    जवाब देंहटाएं
  2. मुझे ...
    जब जन्म-मरण का बोध नहीं था
    जब दुःख और सुख से अधिक सहानुभूति नहीं थी.
    तब केवल इंतज़ार होता था कि कोई बड़ा नेता मरे
    और स्कूल की छुट्टी हो जाये.
    या फिर स्कूल का प्रिंसिपल ही मर जाये.
    ... गुरुजी का मुँह देखता कि वो कब खुशखबरी दें
    और मैं कहूँ ... "गुरुजी छुट्टी की घंटी बजा याऊँ"
    उस समय तो कभी-कभी मन की हो भी जाया करती थी..

    लेकिन अफ़सोस... अब ऐसा क्यों नहीं होता?
    क्यों कोई बड़ा नेता गुजरता नहीं...
    क्यों बारह साल बाद भी पाप का घड़ा फूटता नहीं...
    क्यों क्यों क्यों ... आखिर क्यों नहीं मरती क्रप्शन की रानी...?
    क्यों नहीं देते गुरुजी फील्ड वर्क ...?
    बस कह दें एक बार "बच्चो, तुम्हें बिगाड़ने वाले जो लोग हैं, उन्हें थप्पड़ लगाकर आओ."
    "आज के कोमल हाथों के धीमे थप्पड़ की आदत यदि जवानी तक बरकरार रही तो
    किसी दिन ये झन्नाटेदार झापड़ में भी बदलेंगे... और इस जागृति से पैदा हुआ खौफ
    बड़े दुष्ट नेताओं को अकस्मात दिवंगत कर बच्चों की छुट्टी का कारण बने.
    ....
    मुझे भी बड़े दिन से इंतज़ार है उस स्कूल की घंटी के बजने का... जिसमें किसी निकम्मे धूर्त बड़े आदमी के मरने की खुशी समाहित हो.

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
    बधाई ||

    जवाब देंहटाएं
  4. अरे बाप रे!! मैंने समझा है कि घंटियाँ बजती हैं शिक्षा की अर्थी पर=शिक्षार्थी पर.

    जवाब देंहटाएं
  5. चन्दन जी, आप शिक्षक दिवस पर बेशक न लिख पायें हों..... लेकिन मैं आपके ब्लॉग पर इस दिवस की जानकारी को लेकर अब तक मिली जानकारी को डे रहा हूँ...
    ****************************
    हमारे देश में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. भारत में शिक्षक दिवस पाँच सितम्बर को मनाया जाता है, जबकि अंतरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस का आयोजन पाँच अक्तूबर को होता है. रोचक बात यह है कि दुनियाभर में शिक्षक दिवस एक ही दिन नहीं मनाया जाता.
    — यूनेस्को ने पाँच अक्तूबर को अंतरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस घोषित किया था.... वर्ष १९९४ से ही इसे मनाया जा रहा है.
    — चीन में वर्ष १९३१ में नेशनल सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी में शिक्षक दिवस की शुरुआत की गयी थी...जिसे चीन सरकार ने १९३२ में स्वीकृति दी ... वर्ष १९३९ में कन्फ्यूशियस के जन्मदिवस २७ अगस्त को शिक्षक दिवस घोषित किया गया.. लेकिन सन १९५१ में इस घोषणा को वापस ले लिया गया... वर्ष १९८५ में १० सितम्बर को शिक्षक दिवस घोषित किया गया... अब चीन के ज्यादातर लोग फिर से चाहते हैं कि कन्फ्यूशियस का जन्मदिवस ही शिक्षक दिवस हो.
    — रूस में १९६५ से १९९४ तस अक्तूबर महीने के पहले रविवार के दिन शिक्षक दिवस मनाया जाता रहा.... वर्ष १९९४ से विश्व शिक्षक दिवस पाँच अक्तूबर को ही मनाया जाता है.
    शेष जानकार के लिये अजय कुमार दुबे जी के ब्लॉग का सफर करने, लिंक है : http://anubhutiras.blogspot.com/2011/09/blog-post.html

    जवाब देंहटाएं
  6. मन में उठे विचारों की घंटी का स्वर स्पष्ट है।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत पसन्द आया
    हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  8. hello!!! I'm from Brasil and I'm looking for a place to study indian poetry for 3 months, could you help me?

    THANK YOU!!!

    Renata Paz
    paz.renata@gmail.com

    जवाब देंहटाएं