मीडिया में हमेशा घटिया समाचारों पर अधिक ध्यान दिया जाता है। इसका नमूना है आज दैनिक जागरण में छपी खबर। टाइम और फोर्ब्स पत्रिकाएँ जो भी छापें उसे आधार बनाकर भारत के अखबारों में न छापा जाय, यह तो हो ही नहीं सकता। ये दोनों पत्रिकाएँ भारत के लोगों के दिमाग में दिव्य-ज्ञान-बोध कराती हैं, ऐसा लगता है। अब आज की खबर में लक्ष्मीबाई की तुलना मिशेल ओबामा और बिल गेट्स की पत्नी से की गई है। और जागरण वाले खबर कैसे देते हैं, यह देखिए।
जब भी कोई टाप की लिस्ट बनाता है तब निश्चय ही वह समान महत्व के लोगों को उसमें जगह देता है लेकिन ये जागरण वाले(सभी भारतीय अखबार और चैनलों का भी यही काम है) टाइम की चापलूसी और टाइम वाले अमेरिका की चापलूसी में व्यस्त रहते हैं। शीर्षक क्या दिया देखिए- 'विश्व की 10 जांबाज पत्नियों में लक्ष्मीबाई भी'। इससे साबित होता है कि ओबामा और बिल गेट्स की पत्नियाँ लक्ष्मीबाई से तुलना करने लायक हैं! 'भी' का प्रयोग हमेशा आपको लाचार साबित करता है या दया करनेवाले की दया दिखाता है।
इतना ही नहीं आज इस अखबार में अंग्रेजों की एक मानस सन्तान ने मैकाले की प्रशंसा में भी स्तुति-गान किए हैं। यहाँ देखिए। इस लेख में तो वैसे तो भारतीयों की प्रशंसा(?) की गई है लेकिन मैकाले के चेले ने लिखा है मैकाले के चरणों में बैठकर।
ये मीडिया वाले इन दिनों लंदन के भक्त बने हुए हैं। इन दिनों लार्ड्स के मैदान में नाक रगड़ने गए कुछ बेवकूफ़ों कि जमकर प्रशंसा की जा रही है। इस पर तो बहुत कुछ कहने का मन होता है।
ऐसे गदहे पत्रकारों के साथ क्या बर्ताव किया जाना चाहिए?
sorry
जवाब देंहटाएं"hindi" kam nahi kar raha
sach bada bura laga |
ye kisko mahima mandit kar rahe hain???
inhone apmaanit hi kiya hai ||
kisi pramaanpatr ki jarurat nahin hai
jhansi ki rani ko ||
kitni bachchiyon ka nam unke naam par hai , meri bachchi ka bhi ||
Bilkul sahi kah aapne bahut gussa ataa hai in maikale maans putron ki buddi par or rahi baat patrkaaron ki to inko to jutte maarne chahiye !
जवाब देंहटाएंआपकी चिंता वाजिब है.
जवाब देंहटाएंएक बात सोच रहा हूँ, चलिए कह ही देता हूँ :
सबल और सक्षम के अवगुण भी गुण कहे जाते हैं... साधारण से साधारण बात विशेष कोण से देखी जाती है...
— लालू जी अपने जुमलों की बदौलत बेवकूफ मतदाताओं के समर्थन से मुख्यमंत्री हो गये ... बस इसी विशेषता के कारण उनकी पत्नी को भी चांस मिल गया सीएम् बनने का. तब से उनका स्वभाविक रूप से चूल्हा जलाना, दूध काढना और गैया का गोबर उठाना, उससे आँगन लीपना भी उनके विशेष गुणों में गिना जाने लगा.
— दिल्ली विश्वविद्यालय में काव्यशास्त्र के एक बड़े प्रोफ़ेसर हैं उनकी पत्नी किसी अन्य विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर हैं ... उन दोनों की कुछ पुस्तकें हैं उनमें केवल एक का ही श्रम निहित है फिर भी वे अलग-अलग नामों से ख्यात हुए हैं .... इसी प्रकार एक साहित्यकार ने अपनी पत्नी के नाम से 'नारी-विमर्श' और 'स्त्री-मनोविज्ञान' पर बड़े-बड़े आर्टिकल्स लिखे और उनकी पत्नी इसके लिये पुरस्कृत हुईं... ऐसे में ये कितना उचित है... साहित्य सृजन के वास्तविक कर्ता की कैसे पहचान हो? पति-पत्नी समाज से अपने संबध की आड़ में समाज से छल किये जाते हैं?
— एक नामी लेखक ने अपनी हवस की शिकार शिष्या से विवाह करके उसे भी साहित्य जगत में बुलंदियों पर पहुँचा दिया .... इस दंद-फंद से विश्वविख्यात हुई लेखिकाओं को किस कोटि में रखा जाना चाहिए?
.......काश! इन गदहे पत्रकारों की खबर लेने वाला कोई महावीर प्रसाद द्विवेदी जैसा पैदा हो जाता.
प्रतुल जी,
जवाब देंहटाएंकड़े शब्द तो मेरे मन में भी थे लेकिन नहीं लिखा। आपकी बात सही है, अभी कुछ दिन पहले विभूतिनारायण राय का मुद्दा आपने सुना ही होगा। वैसे मेरी इच्छा है कि नामी लेखक और काव्यशास्त्र के प्रोफ़ेसर हैं कौन? निजी तौर पर ही बता दें। आपको मेल करने पर वह बाउंस हो जाता है। ध्यान दें।
चन्दन sir,
जवाब देंहटाएंआपका पहले वाला -मेल भी पढ़ लिया था दो दिन बाद ... लेकिन कुछ कहने की फुरसत नहीं मिल रही थी ... नयी पोस्टों पर टिप्पणी देना तो याद रहा लेकिन पुरानी प्रति-प्रश्न का उत्तर न दे पाया .... क्षमा चाहता विलम्ब के लिये.
आपने बहुत ही अच्छे से 'मनोबल' और 'अहंकार' को व्याख्यायित किया था ..... फिर भी कुछ अनसुलझा-सा हूँ... शायद एक बार फिर मनन करने से खुद सुलझ पाऊँ?
दूसरे प्रश्न में मैंने आपसे एक कल्पना करने को कहा था ... आप संसार में सबसे बड़ी आयु के व्यक्ति हो... क्या तब भी आप किसी को बड़े का सम्मान देना पसंद करेंगे?
मैं ही नहीं बहुत लोग जानते होंगे ...... आप क्यों मुझसे साफ़-साफ़ नाम सुनना चाहते हैं... आप भी जानते हैं कि ऎसी चीज़ों के सबूत नहीं होते ... केवल लेखन शैली से अनुमान लगाए जाते हैं... प्रश्न तो मैंने भी काफी किये हैं सर, लेकिन मुझे उत्तर न भी मिलें तो मुझे चिंता नहीं होती... बस जिस बात का उत्तर सहजता से दिया जा सके उसका ही दे देना चाहिए... अन्य छोड़ देने चाहिए.
......... आप इग्नू का एम् ए का पाठ्यक्रम पढेंगे तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा. लेखक दो ....... और कई चेप्टर एक ही शैली में रचे-बसे.
आज की टिप्पणी पर :
जवाब देंहटाएंवैसे मेरी इच्छा है कि नामी लेखक और काव्यशास्त्र के प्रोफ़ेसर हैं कौन? निजी तौर पर ही बता दें।
@ मैं ही नहीं बहुत लोग जानते होंगे ...... आप क्यों मुझसे साफ़-साफ़ नाम सुनना चाहते हैं... आप भी जानते हैं कि ऎसी चीज़ों के सबूत नहीं होते ... केवल लेखन शैली से अनुमान लगाए जाते हैं... प्रश्न तो मैंने भी काफी किये हैं सर, लेकिन मुझे उत्तर न भी मिलें तो मुझे चिंता नहीं होती... बस जिस बात का उत्तर सहजता से दिया जा सके उसका ही दे देना चाहिए... अन्य छोड़ देने चाहिए.
......... आप इग्नू का एम् ए का पाठ्यक्रम पढेंगे तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा. लेखक दो ....... और कई चेप्टर एक ही शैली में रचे-बसे.
खबर की जरूरी शर्त चौंकाना भी हो गया है.
जवाब देंहटाएंबड़ा भाई ऐसे ही थोड़ी न बनाया है अमरीका को .
जवाब देंहटाएंभई, न्यूज बेचना भी जरुरी है,
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
एक नामी लेखक ने अपनी हवस की शिकार शिष्या से विवाह करके उसे भी साहित्य जगत में बुलंदियों पर पहुँचा दिया .... इस दंद-फंद से विश्वविख्यात हुई लेखिकाओं को किस कोटि में रखा जाना चाहिए?
जवाब देंहटाएंचोकाने वाली खबर
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