सोमवार, 14 मई 2012

मनोहर पोथी बेचते बच्चे (कविता)


हाल की एक कविता जिसके कुछ भाव आजादी कविता से मिलते हैं... 

दस रुपये में चार किताबें
बेच रहे थे बच्चे
उस दिन
रेलगाड़ी में
जिनकी उम्र दस साल भी नहीं थी।

बुधवार, 2 मई 2012

भारत में बौद्ध धर्म की क्षय - दामोदर धर्मानंद कोसांबी


× × × 

     अजीब हालत है। एक तरफ धर्म के नाम पर भयानक खून-खराबा भी होता है, और दूसरी तरफ ध्यान से देखने पर सभी धर्म एक जैसे लगते हैं। साफ है कि धर्मों की बुनियाद कहीं और है- शायद धर्मों से बाहर। यह छोटी-सी किताब इस गहरे रहस्य को कुछ-कुछ समझने में मदद देगी।