वाचक: दोनों जून 1-1 कटोरा साबूदाना उबालकर महात्माजी पीते थे। आइए हम देखते हैं कि वे किस तरह नित्य मूर्खोपनिषद् का पाठ करते हैं। (महात्माजी के हाथ में एक मोटी पुस्तक है। वे पढ़ते हैं।–
ॐ नमो मूर्खेश्वराय मूर्खतां देहि मे सदा।
वंदे मूर्खोपनिषदम् ग्रंथम् पठति मूर्खशिरोमणि:॥