tag:blogger.com,1999:blog-4603771006660912215.post7558545236801824855..comments2023-12-24T13:18:47.467+05:30Comments on भारत के भावी प्रधानमंत्री की जबानी: सिर्फ़ एक बार (हिन्दी दिवस पर विशेष)चंदन कुमार मिश्रhttp://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-4603771006660912215.post-14155662194584773712011-09-17T15:34:14.083+05:302011-09-17T15:34:14.083+05:30ठीक है बेनामी भाई। आप फेसबुक से होकर आते रहिए। लेक...ठीक है बेनामी भाई। आप फेसबुक से होकर आते रहिए। लेकिन आप इस लेख पर आते हैं, ये बात तो है।चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4603771006660912215.post-24191300570166287532011-09-17T15:32:23.470+05:302011-09-17T15:32:23.470+05:30are nahi yaar wase mera name rajan haiare nahi yaar wase mera name rajan haiAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4603771006660912215.post-49013872531001560722011-09-16T21:28:51.125+05:302011-09-16T21:28:51.125+05:30कहीं आप का नाम …रंजन तो नहीं?कहीं आप का नाम …रंजन तो नहीं?चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4603771006660912215.post-22183679981100913432011-09-16T12:40:09.497+05:302011-09-16T12:40:09.497+05:30are bhi बेनामी जी,
hone ka matlab ye nahi tha mu...are bhi बेनामी जी, <br /><br />hone ka matlab ye nahi tha mujhe pata hai aap bhi ye kar sakte hai <br /><br />jo bhi internet per har roj kam karta hai tho wo ye sub kuch kar sakta hai mager mein ap ko ye nahi dekha raha tha ki mane koi Bada kam kar diya bush mein ap ko dekha raha tha ki internet per kuch bhi save bahi hai "keep it up" take care <br /><br />wase ap ka blog acha hai bahutAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4603771006660912215.post-43313624036198415092011-09-14T14:08:33.195+05:302011-09-14T14:08:33.195+05:30बेनामी जी,
पता है कि कुछ सुरक्षित नहीं। आप बेनाम...बेनामी जी, <br /><br />पता है कि कुछ सुरक्षित नहीं। आप बेनामी होकर क्यों बोल गये? गिरफ़्तार तो नहीं किया जाता आपको। कोई बहादुरी नहीं कर गये हैं आप। ये काम तो हम भी कर सकते हैं जी।चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4603771006660912215.post-45618872021752203742011-09-14T12:48:33.334+05:302011-09-14T12:48:33.334+05:30http://www.testmanojiofs.com/2011/09/blog-post_14....http://www.testmanojiofs.com/2011/09/blog-post_14.html<br /><br />http://krantiswar.blogspot.com/2011/09/blog-post_14.html<br /><br />http://safedghar.blogspot.com/2011/09/blog-post_13.html?showComment=1315918210566 यहाँ भी पाठक जा सकते हैं।चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4603771006660912215.post-10791145926551325012011-09-14T12:46:00.091+05:302011-09-14T12:46:00.091+05:30आदरणीय डॉ दलसिंगार यादव जी,
आपने जिन हस्तियों का ...आदरणीय डॉ दलसिंगार यादव जी,<br /><br />आपने जिन हस्तियों का उल्लेख किया है, उनमें से मैं अधिकांश को तो नहीं जानता। लेकिन एक वेद प्रताप वैदिक का नाम आया तो कुछ कहने की इच्छा है। कुछ दिन पहले वैदिक जी से सम्पर्क हुआ। लेकिन उनका रवैया भी ठीक नहीं लगा। मैं उनपर आरोप तो नहीं लगा सकता क्योंकि कुछ ऐसे काम उन्होंने किए हैं, जो महत्वपूर्ण थे। लेकिन व्यक्तिगत तौर पर मुझे निराशा हाथ लगी। <br /><br />मुझे समाधान दो तरह का दिखता है। पहला तो राजनैतिक है और दूसरा कूटनीतिक।चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4603771006660912215.post-17769631373754561932011-09-14T12:02:55.362+05:302011-09-14T12:02:55.362+05:30चंदन कुमार जी!
आपकी साइट पर आया तो लगा कि आग है सी...चंदन कुमार जी!<br />आपकी साइट पर आया तो लगा कि आग है सीने में, कुछ न कुछ तो जलाकर ही रहेगी। अतः आपके विचार से कुछ लोग तो जले ही हैं। कुछ को तपिश महसूस हुई होगी, कुछ को ऊर्जा मिली होगी, कुछ प्रकाशित हुए होंगे। मैं भी पिछले 40 साल से हिंदी में काम, अनुवाद व लेखन कार्य से जुड़ा रहा। गो. प. नेने, विश्वनाथ दिनकर नरवणे, गोविंद मिश्र, शंकर शेष, डॉ. राजेंद्र यादव, डॉ. वेद प्रताप वैदिक, डॉ. योगेंद्र यादव समेत अनेक हस्तियों से मिला और विचार विमर्श हुआ पर किसी ने भी यह नहीं कहा कि हिंदी आ पाएगी। केंद्रीय हिंदी समिति के एक दो सदस्यों से भी मिला। राजभाषा विभाग, प्रधान मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, कांग्रेस के महा सचिव राहुल गांधी को पत्र लिखकर समस्या बताई परंतु या तो जवाब नहीं मिले या मिले तो गोल मोल जवाब ही मिले। अतः अन्यत्र ऊर्जा बर्बाद करने के बजाय हिंदी में कुछ लिखने या जब भी अवसर मिलता है हिंदी के बारे में फैली भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास करता हूं। अतः इस रास्ते में आपसे संपर्क उपयोगी और सार्थक लगा। <br /><br />आपने कुछ लिंक भेजे थे। उनमें से योगेंद्र जोशी जी से तो मेल द्वारा विचार विनिमय भी हुआ। समयाभाव व पारिवारिक दायित्वों के कारण ज़्यादा नहीं कर पा रहा हूं। परंतु प्रयासरत हूं। आपको साधुवाद। लगे रहें।डॉ. दलसिंगार यादवhttps://www.blogger.com/profile/07635372333889875566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4603771006660912215.post-6756166260131630202011-09-14T11:33:55.376+05:302011-09-14T11:33:55.376+05:30Bhai Tera tala tut gya - mager mane ap ki koi post...Bhai Tera tala tut gya - mager mane ap ki koi post copy nahi ki mein tho ap ko bata raha tha ki internet per kuch bhi suraksit nahi hai ok take care<br /><br />सब जानते होंगे कि ब्लागर ने पोस्ट के लिए संदेश शब्द अपनाया है। यह हिन्दी में ब्लागर का इस्तेमाल करने वाले लोग अच्छी तरह से जानते हैं। लेकिन हमने पोस्ट को ही माना। ठीक यही हाल चिट्ठा शब्द का हुआ। जब पहली बार ब्लॉग के लिए इस शब्द का इस्तेमाल हुआ तब हिन्दी के कई नए शब्द उभरे जैसे- चिट्ठाकारी या चिट्ठेकारी, चिट्ठा-जगत, चिट्ठेकार आदि। लेकिन जैसा कि हम हिन्दी लोगों की आदत है, हमने अंग्रेजी शब्द को ऐसे स्वीकारा जैसे वह अमृत हो। शब्द तो कोई बुरा नहीं होता। लेकिन मैंने सुना है कि अंधे को सूरदास कहना अधिक सम्मानजनक है और उचित भी। आज कितने प्रतिशत ब्लॉगर चिट्ठा शब्द इस्तेमाल करते हैं? शायद बहुत कम। मैं स्वयं भी अधिकांशत: ब्लॉग शब्द का इस्तेमाल करता हूँ, चिट्ठे का कम। इसका कारण मैं स्वयं भी हूँ और अन्य लोग भी। शब्दों का भाषाओं में आना-जाना लगा रहता है लेकिन वह स्वाभाविक होता है। हमने जानबूझकर इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया है। उदारवाद हमेशा मूल रूप से खतरनाक साबित होता आया है, क्योंकि वह कहीं-न-कहीं नाव में छेद कर देता है। चाहे वह भाषा के मामले में हो या सुरक्षा के मामले में। उदार होने के साथ-साथ स्वयं के अस्तित्व को बनाए रखना भी अनिवार्य है।..............Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4603771006660912215.post-80727836938268374992011-09-14T00:39:43.863+05:302011-09-14T00:39:43.863+05:30आदरणीय मनोज जी,
क्या यह गलत है भाषा मतलब हिन्दी क...आदरणीय मनोज जी,<br /><br />क्या यह गलत है भाषा मतलब हिन्दी को उसका स्थान कम से कम हिन्दी प्रदेशों में अगर नहीं मिल पाया, तो उसका कारण सरकार ही है। बोलचाल के रूप में भाषा तो चल रही है चाहे लंगड़ाकर या जैसे भी हो। लेकिन जब तक उच्च शिक्षा से, रोजगार से, विज्ञान से, तकनीक से हिन्दी ठीक से नहीं जुड़ती तब तक क्या भला होगा इसका? न्यायालयों से लेकर शिक्षा तक कहीं भी अंग्रेजी का राज्य बरकरार किसने किया है? क्या सरकारी संस्थाओं से यह उम्मीद की जा सकती है, कम से कम वर्तमान समय में, कि वह हिन्दी को जनता से जोड़ेंगी। नहीं, मुझे तो नहीं लगता। अभी हाल में मैंने राष्ट्रपति सचिवालय के आनलाइन सहायता-साइट पर एक सवाल किया तो उसका जवाब आया था-एक्शन नाट रिक्वायर्ड। वह सवाल हिन्दी के संबंध में था। और भारत सरकार की सारी साइटों में कितनी साइटें भारत की आम जनता समझ सकती है। और अगर नहीं समझ सकती तो क्या यह बात उन संस्थाओं को पता नहीं है? और है, तो क्यों ऐसा हाल है? <br /><br />अगर कड़वी बात आती है या कुछ रुखी बातें लिख जाता हूँ, तो वह अकारण नहीं है। आशा है, आप इसका सही अर्थ लगाएंगे। आप आए, इसके लिए धन्यवाद!चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4603771006660912215.post-89358426007873090572011-09-14T00:25:26.011+05:302011-09-14T00:25:26.011+05:30चंदन जी आपने विश्लेषण अच्छा किया है। कुछ बातों से ...चंदन जी आपने विश्लेषण अच्छा किया है। कुछ बातों से असहमति हो तो भी, आलेख अच्छा लगा।<br />यह राजभाषा हिन्दी दिवस है, इसको उस संदर्भ में भी देखें, और इस संदर्भ में भी कि सरकार के पास देश की अन्य भाषाओं के साथ साथ इसको भी देखना है।<br />भाषा को उसका स्थान उसे समझने वालों से प्राप्त होता है, बोलने वालों से नहीं। यही कारण है कि हिंदी की स्थिति अन्य भाषाओं के मुकाबले विशिष्ट हो जाती है। स्वाभाविक रूपसे इस बहुभाषी देश में उसे ही राजकाज की भाषा मानकर इसे राजभाषा का दर्जा दिया गया। हर वर्ष हिंदी दिवस के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करके सरकारी विभा़ग अपने को भाषा और संचार की मुख्य धारा से जोड़ता है। सरकारी संस्थाओं का ज्यों-ज्यों आम जनता से संपर्क बढ़ता जाएगा त्यों-त्यों उन पर हिंदी का दबाव भी बढ़ता जाएगा। जैसे-जैसे आम जनता की पहुंच प्रशासन के गलियारों में बनती जाएगी हिंदी के लिए अपने आप जगह बनती जाएगी। <br />इस संदर्भ में देखें।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4603771006660912215.post-64463224459034508152011-09-13T21:09:24.250+05:302011-09-13T21:09:24.250+05:30यह हमारा दुर्भाग्य है की हिंदी के लिए एक दिन , एक ...यह हमारा दुर्भाग्य है की हिंदी के लिए एक दिन , एक सप्ताह या एक पखवाड़ा ही होता है सार्थक पोस्ट चन्दन जी आभारSunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4603771006660912215.post-17134293966857771732011-09-13T18:25:05.583+05:302011-09-13T18:25:05.583+05:30हिंदी का क्षरण-मरण? दिवस मना ही लेते हैं...
बढ़िया....हिंदी का क्षरण-मरण? दिवस मना ही लेते हैं...<br />बढ़िया...रवि कुमारhttp://ravikumarswarnkar.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4603771006660912215.post-67196351160539569782011-09-13T17:37:40.596+05:302011-09-13T17:37:40.596+05:30सहज सामयिक मुद्दा उठाया है आपने -यह भारत की सबसे ...सहज सामयिक मुद्दा उठाया है आपने -यह भारत की सबसे बड़ी विडम्बना है कि यहाँ कोई राष्ट्रभाषा नहीं है -२२ भाषायें(एकाधिक कम बेसी ) हैं जिन्हें संविधान की मान्यता मिली हुयी है -हमारी अभिव्यक्ति ही विभाजित कुंठित है -हर कोई अपनी अपनी भाषाई राग अलाप रहा है ..यह सचमुच बहुत दुखद है -क्या यह परिदृश्य बदलेगा! ?Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4603771006660912215.post-9649448568875509352011-09-13T17:20:42.291+05:302011-09-13T17:20:42.291+05:30बेहद ही अच्छा लेख है।बेहद ही अच्छा लेख है।SANDEEP PANWARhttps://www.blogger.com/profile/06123246062111427832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4603771006660912215.post-34743637816088848022011-09-13T13:56:38.995+05:302011-09-13T13:56:38.995+05:30सही कहा ||
बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति ||सही कहा ||<br /><br />बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.com