tag:blogger.com,1999:blog-4603771006660912215.post5551158627752687881..comments2023-12-24T13:18:47.467+05:30Comments on भारत के भावी प्रधानमंत्री की जबानी: गाँधी जी पर बहस और मेरी टिप्पणियाँचंदन कुमार मिश्रhttp://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-4603771006660912215.post-16549336917222317802011-08-26T13:03:32.149+05:302011-08-26T13:03:32.149+05:30आदरणीय श्री चंदन कुमार मिश्र भाई जी आपने मेरी बात ...आदरणीय श्री चंदन कुमार मिश्र भाई जी आपने मेरी बात का संयमित भाषा में और सटीक उत्तर दिया , इसके लिए आपका हार्दिक आभार । <br />मैं आप की बात से सहमत हूँ , लेकिन गांधी जी के विषय पर अब आप ही निर्देश करे कि महाशक्ति जी के ब्लॉग पर आपने जो दो लिंक दिये है उन पर लेख लिखे जाये अथवा नहीं , क्योंकि विद्वेष से कुछ अच्छा नहीं होता , सृजनात्मक दृष्टिकोण से सभी कुछ अच्छा होता है ।Bharat Swabhiman Dalhttps://www.blogger.com/profile/03272508118112772215noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4603771006660912215.post-72072909992151864762011-08-25T22:14:34.693+05:302011-08-25T22:14:34.693+05:30आदरणीय विश्वजीत भाई,
अगर थोड़े से सामाजिक और राजन...आदरणीय विश्वजीत भाई,<br /><br />अगर थोड़े से सामाजिक और राजनीतिक हालातों को समझें तब उस समय मुसलमान पाकिस्तान में भी थे। यानि उर्दू के पक्षधर भी बहुत कम नहीं थे। और प्रेमचन्द भी हिन्दुस्तानी के पक्षधर थे। उर्दू को गैर भाषा नहीं है। उर्दू हिन्दी ही है, इसमें तनिक भी सन्देह नहीं। लिपि का प्रचलन तो हुआ और आज भी है। अरबी लिपि में लिखने मात्र से भाषा थोड़े ही बदलती है। आज भी लोग मोबाइल पर संदेश भेजते हैं रोमन में उससे वह भाषा हिन्दी न होकर अंग्रेजी नहीं हो सकती। भले वह बहुत ज्यादा प्रशंसनीय नहीं है। गाँधी जी के विचारों का न मैं कोई समर्थक हूँ और न विरोधी। लेकिन गोडसे की मानसिक स्थिति ठीक होने की बात मात्र से किसी काम को सही नहीं ठहराया जा सकता। उसने जो किया, उसका लाभ न मिला और न मिल सकता है। मानसिक हालत तो सारे भ्र्ष्टाचारियों और ठगों की भी कुछ बुरी नहीं होती, इसलिए चिकित्सकीय प्रमाण से उद्देश्य और लक्ष्य की स्पष्टता और ईमानदारी का पता नहीं चल सकता। <br /><br />अब मैं गोडसे का अपमान न करके आपका भी अपमान नहीं करना चाहता। गलती तो किसी से भी हो सकती है, सहमत हैं। मैंने गांधी पर ही कुछ कहा जब लगा कि एक बेजान बात को घसीटा जा रहा है वरना मुझे तो मार्क्स ही पसन्द हैं।चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4603771006660912215.post-1528680425466439642011-08-25T21:52:45.163+05:302011-08-25T21:52:45.163+05:30आदरणीय श्री चंदन कुमार मिश्र भाई जी सादर वन्दे
मै...आदरणीय श्री चंदन कुमार मिश्र भाई जी सादर वन्दे <br />मैंने आपके कुछ ब्लॉग लेख पढें , यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आप विचारधारा से नास्तिक तथा स्वदेशी व हिन्दी भाषा के प्रबल समर्थक है । सच्चा नास्तिक होना मनुष्य का एक दिव्य गुण है , इससे मनुष्य के अन्दर पक्षपात से रहित ज्ञान का प्रकाटय होता है । मैं पिछले कुछ दिनों से गांधी जी के अधखुले पन्नों के स्थान पर कुछ रचनात्मक लिखने का प्रयास कर रहा था , आज आपके ब्लॉग पर अपनी टिप्पणियाँ देखी तो फिर गांधी जी पर कलम चलाने को विवश होना पड रहा है । महाशक्ति के ब्लॉग पर सुझाये गये ब्लॉग के लिंकों पर अलग से दो - तीन लेख लिखने पडेगे । रही बात वीर गोडसे जी की तो गोडसे की मांग पर उनका चिकित्सीय परिक्षण हुआ था , जिसमें डॉक्टरों ने उन्हें पूर्ण स्वस्थ मस्तिष्क वाला घोषित किया था , इसका प्रमाणपत्र आज भी न्यायालय की फाईलों में दबा हुआ है । मैने वीर गोडसे के भतीजे श्री नाना गोडसे जी से उसकी प्रतिलिपी न्यायालय से निकलवाने हेतु कहा है , देखते है गोडसे की मैडिकल रिपोर्ट कब तक मिल पाती है । आप गांधी जी व हिन्दी भाषा के समर्थक है तो आपको शायद इतना तो पता ही होगा कि प्रारम्भ में हिन्दी के प्रबल समर्थक व प्रचारक रहे गांधी जी ने साम्प्रदायिक तुष्टिकरण हेतु हिन्दी के स्थान पर हिन्दुस्तानी ( उर्दू लिपि में लिखी जाने वाली ग्रामीण हिन्दी ) का प्रचार किये जाने की अपनी जिद न मानने पर हिन्दी साहित्य सम्मेलन से त्यागपत्र दे दिया था और अपने मित्रों को साथ लेकर हिन्दुस्तानी का प्रचार करने लगे थे । खैर टिप्पणी लम्बी हो चली है अतः इस विषय पर भी एक लेख अलग से लिखना पडेगा । <br />भाई किसी का समर्थक होना अच्छी बात है । गलती किसी से भी हो सकती है गोडसे से भी गांधी से भी , लेकिन किसी एक के प्रति अन्ध श्रद्धा रखकर दूसरों को पागल कहना सही बात नहीं है । आप तो नास्तिक हो अतः स्वयं ही समझदार हो , आगे क्या कहूँ - <br />वन्दे भारत मातरम्Bharat Swabhiman Dalhttps://www.blogger.com/profile/03272508118112772215noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4603771006660912215.post-21693937380951516952011-07-31T07:42:25.679+05:302011-07-31T07:42:25.679+05:30आदरणीय राकेश आर्य जी,
आप यहाँ आए। इसके लिए धन्यवा...आदरणीय राकेश आर्य जी,<br /><br />आप यहाँ आए। इसके लिए धन्यवाद! लेकिन आपने जो कुछ कहा वह मेरी किसी बात का जवाब नहीं है। मैंने उपर जिन लिंकों के बारे में कहा है, आप उनका खंडन तथ्यों के आधार पर करें न कि भावावेश में बस गाँधी से द्वेष के कारण। मुस्लिम तुष्टिकरण और सावरकर के बारे या गोपाल गोडसे के बारे में जो कहा गया है वह गलत है, आप यह साबित करें। मैं गाँधी का कोई बड़ा पक्षधर नहीं हूँ। लेकिन उनके सार्वजनिक जीवन या उनमे सिद्धान्तों का प्रशंसक हूँ। विश्वजीत सिंह जी गाँधी जी पर बड़ा गहन चिन्तन और अध्ययन करने के बाद निष्कर्ष पर पहुँचे है, मैंने उनसे कई सवाल किए थे, लेकिन उनका जवाब अभी तक नहीं आया। नेताजी पर भी मैंने कुछ सवाल उठाए हैं, उनका जवाब दिया जाय महाशय, न कि गाँधी पर आरोप लगाने के लिए कुछ भी कह दिया जाय। गोडसे के पक्ष में लिखने वाले की मानसिकता भी गोडसे जैसी हो सकती है। वैसे आखिर गोडसे को मिल क्या गया?चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4603771006660912215.post-50038548793259419382011-07-31T00:09:46.463+05:302011-07-31T00:09:46.463+05:30श्रीमान चन्दन मिश्र जी मैन आपकी टिप्पणीयां गाँधीजी...श्रीमान चन्दन मिश्र जी मैन आपकी टिप्पणीयां गाँधीजी वाले लेखों पर पढी ।आप गाँधी जी के पक्षधर हैँ ,तो सुनिए !गाँधी जी का सत्य व्यवहार जिसकी शिक्षा उन्हे बचपन मेँ ही हरिश्चन्द्र नाटक देख कर मिल ग ई थी ।मालाबार मेँ हिन्दुओँ की क्रूरता से हत्या करनेवाले मोपला मुसलमानोँ को वेँ शांति दूत श्रीमान चन्दन मिश्र जी मैने आपकी टिप्पणीयां गाँधीजी वाले लेखों पर पढी ।आप गाँधी जी के पक्षधर हैँ ,तो सुनिए !गाँधी जी का सत्य व्यवहार जिसकी शिक्षा उन्हे बचपन मेँ ही हरिश्चन्द्र नाटक देख कर मिल ग ई थी ।मालाबार मेँ हिन्दुओँ की क्रूरता से हत्या करनेवाले मोपला मुसलमानोँ को वेँ शांति दूत व भगत सिँह ,चन्द्र शेखर ,पं रामप्रसाद आदि को आतंकवादी कहते थे व भगत सिँह ,चन्द्र शेखर ,पं रामप्रसाद आदि को आतंकवादी कहते थे ।उन्होने मुसलमानो द्वारा मालाबार ,क्वेटा , मुलतान ,नोआखोली आदि स्थानो पर हिन्दुओं पर की गयी सामूहिक हिँसा पर कभी कुछ नही बोला ।स्वामी श्रद्धानन्द के शुद्धि कार्यक्रम के विरोध का असफल कुप्रयास किया व कराया ।स्वामी श्रद्धानन्द के हत्यारे अब्दुल रशीद को भाई अब्दुल रशीद कहा और उसका पक्ष लिया ।वेँ महात्मा कहलाते थे लेकिन क्रान्तिकारियोँ व सुभाष बाबू जैसे व्यक्तियोँ उनके हृदय मेँ व्यक्तिगत ईर्ष्या थी जो समय -समय पर परिलक्षित होती रही ।मुस्लिम तुष्टिकरण की नीव गाँधी ने डाली जो आज भी काँग्रेस की सदाबहार नीति है ।गाँधी ने मुसलमानो के लिए क्या नही किया (पाकिस्तान का निर्माण ,55करोड का दान , हिन्दु शरणार्थियोँ काअपमान , मुसलमानो का सम्मान ,फिर भी बापू महान ) गाँधी जी की सबसे बडी गलती थी कि जनसंख्या के आधार पर बाँट कर भू भाग दे देने के बाद भी मुसलमानोँ को यहाँ रोक कर रखना ।और रही बात देशभक्त वीर विनायक नत्थूराम गोडसे के सनकी होने की तो उनके अभियोग के एक न्यायधीश आत्माचरण जी गोडसे जी की प्रशंसा मेँ क्या लिखते हैँ पढकर देख लेना । लिख तो अधिक भी सकता हूँ लेकिन फोन से लिखने मेँ असुविधा होती है । <br />पं राकेश आर्य गाँधीजी वाले लेखों पर पढी ।आप गाँधी जी के पक्षधर हैँ ,तो सुनिए !गाँधी जी का सत्य व्यवहार जिसकी शिक्षा उन्हे बचपन मेँ ही हरिश्चन्द्र नाटक देख कर मिल ग ई थी ।मालाबार मेँ हिन्दुओँ की क्रूरता से हत्या करनेवाले मोपला मुसलमानोँ को वेँ शांति दूत श्रीमान चन्दन मिश्र जी मैने आपकी टिप्पणीयां गाँधीजी वाले लेखों पर पढी ।आप गाँधी जी के पक्षधर हैँ ,तो सुनिए !गाँधी जी का सत्य व्यवहार जिसकी शिक्षा उन्हे बचपन मेँ ही हरिश्चन्द्र नाटक देख कर मिल ग ई थी ।मालाबार मेँ हिन्दुओँ की क्रूरता से हत्या करनेवाले मोपला मुसलमानोँ को वेँ शांति दूत व भगत सिँह ,चन्द्र शेखर ,पं रामप्रसाद आदि को आतंकवादी कहते थे व भगत सिँह ,चन्द्र शेखर ,पं रामप्रसाद आदि को आतंकवादी कहते थे ।उन्होने मुसलमानो द्वारा मालाबार ,क्वेटा , मुलतान ,नोआखोली आदि स्थानो पर हिन्दुओं पर की गयी सामूहिक हिँसा पर कभी कुछ नही बोला ।स्वामी श्रद्धानन्द के शुद्धि कार्यक्रम के विरोध का असफल कुप्रयास किया व कराया ।स्वामी श्रद्धानन्द के हत्यारे अब्दुल रशीद को भाई अब्दुल रशीद कहा और उसका पक्ष लिया ।वेँ महात्मा कहलाते थे लेकिन क्रान्तिकारियोँ व सुभाष बाबू जैसेpandit rakesh aryahttps://www.blogger.com/profile/13518471041937883796noreply@blogger.com